Thursday, January 26, 2006

कैसा गणतंत्र, किसका गणतंत्र ?

कैसा गणतंत्र, किसका गणतत्र ?
26 जनवरी का दिन आया और चला भी गया । जगह-जगह तिरंगा लहराया गया । कुछ जगह बच्चे लाड साहबों के सामने बडे भोर से सांस्कृतिक कला प्रदर्शन के नाम पर कंपकपाती ठंड में कतारबद्ध खडे रहे । कुछ गलियों में मोहल्लों के धन्धेबाजों ने मिठाईयाँ भी बाँटीं । कहीं-कहीं शुतुरमुर्ग के अंदाज वाले बुद्धिजीवियों ने व्याख्यान रचाया । दूर-दराजों के एकाध गाँव में फीते फिर से काटे गये । नये जमाने के छोकरों ने कलर मोबाईल से sms भेजा । संगीत के दीवानों (?) ने दो-चार देशभक्ति के कैसेट और सीडी बजाकर डांस-वांस करके गणतंत्र का इजहार किया । देश भर के सारे सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को पुरस्कार एवं प्रोत्साहन के नाम पर दोपहर वाले मध्यानः भोजन के चावल से ही काम चलाया गया । बस, इससे ज्यादा और कुछ नहीं हुआ संसार के सबसे बडे गणतांत्रिक देश भारत में । क्या इसी का नाम गणतंत्र है ?
     क्या आज देश का किसान चिन्तामुक्त था कि लहलहाते गेहूं के सूखते हुए खेत में पानी की कमी नहीं हुई ? क्या आज सारे के सारे बेरोजगारों के हाथ काम में जूटे हुए थे ? क्या आज कहीं कोई रिश्वत नहीं लेकर बकाया सरकारी काम पूरा कर दिखाया ? क्या किसी ने भी कोई दलाली नहीं की ? अपने शहीद पुरखों को याद करते हुए क्या किसी के आँख छलछला उठे ? क्या आज वर्दीधारियों ने अपनी वर्दी का दाग धो लिया ? क्या आज देश का जन-जन खुशी में मस्त था ? शायद सभी का उत्तर नहींमें ही मिलेगा । तब क्या हम सच्चे गणतंत्र प्राप्त कर चुके । नहीं ना । कैसे मिलेगा हमें सच्चा गणतंत्र ? हम आखिर कहाँ भटक गये ? हमारे रणवांकुरों की कुर्बानी क्या बेकार चली गयी ? हम किस आकाश में उड रहे हैं ? 5 दशक कैसे बीत गये हमारे हमें समझ ही नहीं आया । हमने चाहे जिस भी क्षेत्र में झंण्डे गाड दिये हों, अब भी भारत का आम आदमी जीवन की बुनियादी संसाधनों से दूर ही है । हमने केवल मूल्य बटोरना तो सीख लिया है इन वर्षों में पर मूल्य निभाना भूल गये । आखिर कहाँ चूक हो गई हमारे पुरखों से ? आखिर हम कहाँ जाकर ठहरने वाले हैं ? सोचें तो जरा ठंडे दिमाग से । विचार करके देखें तो भला तमाम संवेदना के साथ .......... । मैं सच ना कह रहा हूँ तो जरूर बतायें अपनी राय, मैं मानने को तैयार बैठा हूँ ।

1 comment:

renu ahuja said...

Gan Tantra: ye to sahi prashn kiyaa aapney kee aakhir ham kahaa aakar chook gaye? magar prashn yeh bhee hai kee iss chook ke vishay me sochney waaley aaj hai hee kitney, ..aur abhi kal hee hamney HINDUSTAAN TIMES me bhee ek lekh padaa gan-tannra=GUN+TANTRA, jis tarah se Rashtrapati jee, va anya VIP log GUN yaani bandookon kee chhtrachaayaa me gantantra divas kee salaami le rahey they, weh haamrey hee gantantra kee ki asmitaa ke liye bhay kee kaali chaayaa kaa mook aur sachaa darpan hee hai, aur rahi baat oon gano yaani logon ki jo is gantantra me reh rahey hai, to oonkey shikanjey se ye tantra bari kahaa ho saktaa hai, gano ke tantr se bari....ajeeb 26 Janaury..kahair, achaanaak aapkey blog ke taraf aanaa huaa aur aapkaa lekh padaa, aisey vishleshnaatamak lekh prernaadaayee hai, aapkaa lekhan ootkrisht hai, bhadaaee. regards Smt.Renu, my blog is http://www.kavyagagan.blogspot.com