Wednesday, January 11, 2006
बाल वाटिका ( मेरी बाल कविताओं की श्रृंखला )
अंगूरी लाल
अक्खड बातूनी अंगूरीलाल
करें बात-बात पर वे सौ सवाल .
हरदम अपनी हाँका करते
खूब तम्बाखू फांका करते
लोग उन्हें कहते- जी का जंजाल .
धंधा उनका टांग अडाना
हर किसी का मजाक उडाना
रहें रायपुर या फिर भोपाल .
गाते फिरते सिनेमा के गाने
मेहनत के डर से करते बहाने
घर-घाट का न रखते खयाल .
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