Wednesday, January 11, 2006

बाल वाटिका ( मेरी बाल कविताओं की श्रृंखला )




स्कूल में लग जाये ताला

अब से ऐसा ही हो जाये
भले किसी को पसंद न आये ...

स्कूल में लग जाये ताला
दें बस्तों को देश निकाला
होमवर्क जुर्म घोषित हो,
कोई परीक्षा ले न पाये ...

दिन भर केवल खेलें खेल
जो डाँटे उसको हो जेल
खट्टा-मीठा खारा-तीता,
जो चाहे जैसा वह खाये ...

हरदम चले हमारी सत्ता
हो दिल्ली चाहे कलकत्ता
हम मालिक अपनी मर्जी के,
हर गलती माँ-बाप को भाये ...

मौसी-मामी, नाना-नानी
रोज सुनायें नयी कहानी
हम पंछी हैं, हम तितली हैं,
गीत हमारा ही जग गाये ...


अब से ऐसा ही हो जाये
भले किसी को पंसद न आये ...

1 comment:

Geetali said...

picture kaafi achi hai... kavita bhi padhne mein sundar lagti hai.