अपने बारे में :- हिन्दी के प्रजातंत्र का एक अदना-सा सिपाही । हिन्दी से लेता है। हिन्दी को हिन्दी में लौटाता है । उसका अपना क्या है ? जो भी है, हिन्दी का है ।
Saturday, January 07, 2006
पेडः एक कविता
इस शजर के पास कोई भूलकर ना आयेगा पेड से फल फूल हरी पत्तियाँ गायब हुई
1 comment:
yaani musibat ke waqt apne bhi saath chor gaye....
Aapka swagat hai hindi blog jagat mein.
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