Saturday, October 13, 2007

आया हवाई ऑपरेटिंग सिस्टम

वेब-भूमि-7

कंप्यूटर और इंटरनेट का गंभीर रूचि रखने वाले मेरे बेटे की जिज्ञासा थी – क्या बिना ऑपरेटिंग सिस्टम किसी एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर पर काम किया जा सकता है ? मैंने तब यूँ ही कहा था – यह तो नामुनकिन है । लगभग टाल-सा दिया था उसे । शायद मैं भी भारतीय टेक्नोक्रेट्स के कौशल का आंकलन नहीं कर सका था जिनके बदौलत हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि जी हाँ, अब बगैर ऑपरेटिंग सिस्टम अपने कम्प्यूटर या पीसी को हम कहीं से भी एक्सेस कर सकते हैं। और सिर्फ इतना ही नहीं किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम की फाइलों को किसी भी कंप्यूटर पर रीड़ कर सकते हैं, उनका उपयोग भी कर सकते हैं । हमारे पास इंटरनेट कनेक्शन मात्र हो । कहने का आशय तो यही कि अब हवा में होगा हमारा ऑपरेटिंग सिस्टम ।

एक कंप्यूटर उपयोगकर्ता इतना तो जानता ही है कि यदि पीसी के हार्ड डिस्क यानी कि बूटिंग डिस्क में ऑपरेटिंग सिस्टम ही न हो तो उसके सम्मुख कभी भी कमांड प्राम्ट नहीं आयेगा । कंमाड प्राम्ट नहीं आयेगा तो पीसी किसी भी उपयोग लायक नहीं रहेगा, तब वह खाली डिब्बे से ज़्यादा नज़र नहीं आयेगा । ऑपरेटिंग सिस्टम ही वह मंच है जो पीसी को काम करने योग्य बनाता है । यही कारण है कि पहले हार्ड डिस्क पर सबसे पहले ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) इंस्टाल होता हैं जिसकी सहायता से किसी भी इंस्टाल किये एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर पर मनमाफ़िक कार्य किया जा सकता है । चाहे वह विडोंज हो या मैक या फिर लाइनेक्स या यूनिक्स ही क्यों न हो ।

आम पीसी उपभोक्ता यह भी जानता है कि एक आपरेटिंग सिस्टम में तैयार फाइल किसी अन्य आपरेटिंग सिस्टम वाले पीसी में कतई काम नहीं आता है । उदाहरण के तौर पर यदि विडोंज के एमएसवर्ड में तैयार डेटा या फाईल को मैकिंटोश या लिनक्स के वर्ड पर न खोला जा सकता है, न पढ़ा जा सकता है न ही उसमें संशोधन किया जा सकता है । यह सभी जानते हैं कि विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह के ओएस(operating system) प्रचलित हैं । यहाँ तक कि एक ही देश के विभिन्न शहरों में भी समान ओएस प्रचलित नहीं है । यह भी कम अड़चन नहीं थी । इसे एक उदाहरण से समझते हैं - माना कि किसी भारतीय को किसी ऐसे देश में चाहे व्यापार के सिलसिले में हो या जॉब या किसी अन्य प्रसंग पर प्रस्तुतिकरण (Presentation) करना हो, और वहाँ के पीसी में विंडोज के स्थान पर लाइनेक्स या मैक ओएस वाली पीसी हो तो वह सीडी या पेन ड्राइव में डेटा रखने के बाद भी किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेगा । सब कुछ उसका धरा का धरा रह जायेगा । प्रौद्योगिकी की तेज रफ़्तार वाले इस युग में इस कंप्यूटरी बाधा को दूर करने में हो सकता है कि कई देश के टेक्नोक्रेट लगे हों पर सफलता जिसे सबसे पहले मिली है उनमें भारतीय भी हैं । इसका हल ढूँढ़ निकाला है मद्रास के सॉफ्टवेयर इंजीनियरों ने । नाम है निवियो । पता है –
www.nivio.com

यूँ तो वर्षों से ब्राउज़र के मार्फत ऑइस तरह के लिनक्स आधारित रिमोट ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग की बात सुनाई देती है । कई ऐसे ऑनलाइन प्रयोग भी हो चुके हैं और कुछ तो सफल भी हो रहे हैं । (आज कम से कम 12 प्रकार के ऐसे ही ऑनलाइन ऑपरेटिंग सिस्टम प्रचलन में हैं । इसमें प्रमुख हैं -
1. Craythur (www.craythur.com) 2. Desktoptwo (www.desktoptwo.com) 3. EyeOS(www.eyeos.com) 4. Glide (www.glidedigital.com) 5. Goowy (www.goowy.com )6. Orca (www.orcaa.com)7. Purefect 8. SSOE 9. XinDESK 10. YouOS (www.youos.com) ) परंतु विंडोज़ एक्स-पी आधारित निवियो नामक यह वेब अनुप्रयोग अपने किस्म का अनोखा और अव्वल है ।

यदि आप इस ऑनलाइन आपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने की ख्वाहिश रखते हैं तो चलिए हमारे साथ – पहले इंटरनेट से जुडिए । फिर
www.nivio.com पर लॉग आन होइये । कुछ ही क्षण मे ओएस आपके सम्मुख होगा । हो सकता है कि आपको कुछ ज्यादा इंतजार करना पडे । ओएस के आते ही स्वयं को रजिस्टर कीजिए । रजिस्टर्ड होते ही आप प्रयोगकर्ताओं की कतार में सम्मिलित हो जायेंगे । तब वह खुद ब खुद आपको आमंत्रित करेगा कि आइये मेरे आका ! मैं आपकी सेवा के लिए तैयार हूँ । जब एक बार डेस्कटॉप को एक्सेस कर लेंगे तो आप मुक्त और आराम से कई तरह के प्रोग्रामों पर कार्य कर सकते हैं जैसे – वर्ड, एक्सेल, पॉवरपाइंट आदि-आदि । शुरु में आपको इस आनलाइन आपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करने के लिए एक माह का समय मिलेगा । इसके बाद आपको निवियो कंपनी को प्रत्येक माह 399 रुपया अदा करने होंगे जो सुविधा को देखते हुए कम ही है । विद्यार्थियों के लिए यह शुल्क मात्र 199.50 रुपये प्रति माह है । निवियो को अदा की गई राशि के एवज में आपको एक पैकेज मिलेगा जिसमें 5 जीगाबाइट आनलाइन स्टोरेज, संपूर्ण विंडोज डेस्कटाप, एडाब एक्रोबेट रीडर8, आइट्यून्स और फॉयरफॉक्स मिलेगा । इसी साइट पर माइक्रोसाफ्ट ऑफिस 2003 भी कुछ शुल्क के साथ उपयोग हेतु उपलब्ध है । यदि आप पैसा बचाना चाहते हैं तो वैकल्पिक तौर पर वहाँ ओपन ऑफिस सुइट पर काम कर सकते हैं ।

निवियो की विशेषता यह भी है कि वह सुरक्षा सेवा भी प्रदान करती है – यहाँ की सभी फाइलें वायरस और स्पैम मुक्त होती है । फिलहाल तो यह बीटा संस्करण(टेस्टिंग) की स्थिति में है । आम जन के इस्तेमाल के लिए जारी नहीं किया गया है । उपयोगिता की दृष्टि से यद्यपि यह हिंदी में काम करने वालों के लिए किसी खास काम का नहीं है किन्तु भविष्य में यहाँ वांछित एप्लीकेशनों को भी इंस्टाल करके उपयोग किया जा सकता है । खास कर उन लोगों के लिए जो लैपटाप का बोझ भी नहीं उठाना चाहते । या फिर लैपटाप भी खरीदना नहीं चाहते । यहाँ अपना बैकअप भी सुरक्षित रखा जा सकता है । यहाँ अतिमहत्वपूर्ण दस्तावेज भी सबकी नजर बचाकर रखा जा सकता है । फिलहाल और क्या चाहिए । आइये स्वागत करें इस विडोंज आधारित विश्व के प्रथम ऑनलाइन ऑपरेटिंग सिस्टम का ।




4 comments:

ePandit said...

अच्छी जानकारी दी मानस जी, लेख में कुछ तकनीकी भूलों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।

"एक कंप्यूटर उपयोगकर्ता इतना तो जानता ही है कि यदि पीसी के हार्ड डिस्क यानी कि बूटिंग डिस्क में ऑपरेटिंग सिस्टम ही न हो तो उसके सम्मुख कभी भी कमांड प्राम्ट नहीं आयेगा।"

एक नैटवर्क में बिना हार्डडिस्क एवं ओएस के भी किसी वर्कस्टेशन (टर्मिनल) को सर्वर के संसाधनों (हार्ड डिस्क एवं ओएस) पर चलाया जा सकता है। पुराने समय में कम्प्यूटर उपकरण जब महंगे थे तो हमारे कॉलेज की कम्प्यूटर लैब में एक सर्वर पर ही हार्डडिस्क थी और सभी टर्मिनल नैटवर्क ड्राइव और ओएस को शेयर करते थे। सबसे पहले सर्वर को चलाया जाता था तभी सब कम्प्यूटर चलाए जाते थे। बिना सर्वर चलाए वे काम नहीं करते थे।

"उदाहरण के तौर पर यदि विडोंज के एमएसवर्ड में तैयार डेटा या फाईल को मैकिंटोश या लिनक्स के वर्ड पर न खोला जा सकता है, न पढ़ा जा सकता है न ही उसमें संशोधन किया जा सकता है।"

एम एस वर्ड की फाइलों को लिनक्स में ओपन ऑफिस में खोला तथा सम्पादित किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त विभिन्न विण्डोज प्रोग्रामों को वाइन नामक तन्त्र की मदद से लिनक्स पर चलाया जा सकता है। मैक के लिए भी शायद कोई ऐसा तन्त्र हो।

"हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि जी हाँ, अब बगैर ऑपरेटिंग सिस्टम अपने कम्प्यूटर या पीसी को हम कहीं से भी एक्सेस कर सकते हैं।"

निवियो के प्रयोग के लिए इण्टरनैट एक्सैस आवश्यक है और इण्टरनैट एक्सैस के लिए पीसी में ओएस फिर यह बात समझ नहीं आई कि बिना ओएस के निवियो कैसे एक्सैस हो पाएगा?

बिना ओएस के LAN पर तो सर्वर की मदद से पीसी को चलाया जा सकता है, पर इण्टरनैट से नहीं।

Unknown said...

आदरणीय मानस जी,
श्रीश जी ने बिलकुल तकनीकी मुद्दे उठाये हैं, लेकिन मैं सिर्फ़ इतना ही कहना चाहता हूँ कि "वेब-भूमि" की आपकी श्रृंखला बेहतरीन है, जानकारी पूर्ण है, उपजाऊ है... संजीव तिवारी जी से आपके बारे में चर्चा हुई थी, यदि सम्भव हो तो अपना मेल आईडी भेजें ताकि विस्तार से चर्चा हो सके...

Anonymous said...

जयप्रकाश जी, जो भी तकनीकी गलतियाँ आपके लेख में थी उनको तो श्रीश ने लगभग पकड़ ही लिया है और सुधार भी दिया है। माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड के बारे में भी उसका कहना सही है कि ओपन ऑफ़िस में उसकी फाइल खुल जाती हैं, माइक्रोसॉफ़्ट मैक के लिए भी ऑफ़िस बनाता है इसलिए उसमें भी उसकी वर्ड फ़ाइल खुल जाती है।

आम पीसी उपभोक्ता यह भी जानता है कि एक आपरेटिंग सिस्टम में तैयार फाइल किसी अन्य आपरेटिंग सिस्टम वाले पीसी में कतई काम नहीं आता है ।

क्षमा कीजिए पर कुछ अपवादों को छोड़ यह सरासर गलत है। मैं बहुत सी फाइलों के उदाहरण दे सकता हूँ जो हर जगह समान चलती है, डॉक्यूमेन्ट में चाहे .doc हो या .rtf हो या .pdf हो या .csv, वीडियो में चाहे .avi हो या .mov हो या .mpg हो या .rm हो या .flv हो या .mkv आदि, ऑडियो में चाहे .mp3 हो या .wav हो या .ogg हो या .ra हो या .aac हो या .mkv आदि!!

रही बात अपने पीसी पर ऑपरेटिंग सिस्टम न होने की, तो साहब यह तो बताईये कि वेब-ब्राउज़र कहाँ चलाएँगे ऑनलाईन ऑपरेटिंग सिस्टम को चलाने के लिए? इंटरनेट से कैसे कनेक्ट करेंगे? ;) आपने इस सारे मामले को ज़रा गलत समझा है जयप्रकाश जी, बात यूँ है कि इन जुगाड़ों से आपको अपने पीसी पर सॉफ़्टवेयर, जैसे ऑफ़िस सूट आदि नहीं डालने होंगे, लेकिन ऑपरेटिंग सिस्टम अवश्य चाहिए होगा!! :)

निवियो की वेबसाइट पर जितना मैंने उनकी सर्विस के बारे में पढ़ा है, उन्होंने कोई खास नया काम नहीं किया है, जो वे प्रदान करा रहे हैं ऐसी सेवाएँ पहले से मौजूद हैं और कई के तो सॉफ़्टवेयर मुक्त स्रोत होने के कारण आप अपने सर्वर पर भी लगा सकते हैं!!

वैसे पीसी पर बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के काम करना असंभव नहीं है, जैसा कि श्रीश ने बताया कि LAN(Local Area Network) में ऐसा होता है और इंटरनेट के दौर के पहले से होता आ रहा है। लेकिन श्रीश, यह काम बड़े नेटवर्क पर भी हो सकता है, जैसे ISP यह सुविधा प्रदान कर सकता है कि सस्ते कंप्यूटर बेचे जिसमें हार्ड-डिस्क वगैरह न हो, सिर्फ़ एक हार्डवेयर इंटरफ़ेस हो जो कि तार/बेतार द्वारा ISP के लोकल सर्वर से जुड़े और उपभोग्ता उस पर लॉगिन कर सारा काम करे।

Anonymous said...

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