वेब-भूमि-3
इस वक्त मैं अपने शहर के एकाकी कक्ष में कंप्यूटर के सम्मुख बैठे-बैठे इंटरनेट पर जूझ रहा हूँ पर खिड़की से साफ-साफ दिखाई देती मानसून की पहली फूहार से मुझे धरती पुत्र याद आने लगा है। शहर निवासी स्वयंभू धरतीपुत्र नहीं । प्रायोजित विज्ञप्तियों वाला धरतीपुत्र भी नहीं बल्कि वह माटी का बेटा जो सारे हिन्दुस्तान के लिए अन्न उपजाता है । गरीब के घर जनमता है, गरीबी की गोद पलता है और गरीब लोगों के कांधे में सवार होकर एक दिन चुपचाप श्मशान की ओर चल देता है – लहलहाते खेतों को अकेले छोड़कर । खिलखिलाते खलिहान को उदास छोड़कर ।
इस वक्त मैं अपने शहर के एकाकी कक्ष में कंप्यूटर के सम्मुख बैठे-बैठे इंटरनेट पर जूझ रहा हूँ पर खिड़की से साफ-साफ दिखाई देती मानसून की पहली फूहार से मुझे धरती पुत्र याद आने लगा है। शहर निवासी स्वयंभू धरतीपुत्र नहीं । प्रायोजित विज्ञप्तियों वाला धरतीपुत्र भी नहीं बल्कि वह माटी का बेटा जो सारे हिन्दुस्तान के लिए अन्न उपजाता है । गरीब के घर जनमता है, गरीबी की गोद पलता है और गरीब लोगों के कांधे में सवार होकर एक दिन चुपचाप श्मशान की ओर चल देता है – लहलहाते खेतों को अकेले छोड़कर । खिलखिलाते खलिहान को उदास छोड़कर ।
मेरे मन में एकाएक प्रश्न उभरता है – आखिर यह नई प्रौद्योगिकी किसानों के जीवन में कितनी खुशियाँ ला सकता है ? कंप्यूटर और इंटरनेट की क्षमता का आंकलन करने पर बुद्धि से जबाब मिलता है तो प्रसन्नता से भर उठता हूँ । राहत महसूसता हूँ कि सिर्फ शहरी लोगों के लिए नहीं अपितु गाँवो की ज़िंदगी में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में ये दोनों चीजें कारगर हैं। मित्रवत् हैं । सखाभाव है इनमें । बशर्ते कि उन्हें किसानों तक पहुँचाया जाय । किसानों को उस स्तर पर शिक्षित किया जाय।
यदि गाँव के चौपालों तक कंप्यूटर और इंटरनेट पहुँच गया तो समझिए कि वह कृषि की सारी उन्नत तकनीक को जान सकता है । विकसित तौर-तरीकों को आत्मसात कर सकता है । इसके लिए वह घर वैठे भारतीय किसान का सूचना केंद्र यानी कि http://www.krishisewa.com/ पहुँच सकता है । भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के जाल स्थल (www.icar.org.in/hindi)में जाने की देरी है । वहां वह मौसम वार फसल, बीजोपचार, रोग एवं निदान, मंडी भाव की जानकारी और ज्ञान मुफ्त में प्राप्त कर सकता है । यह धान, गेहूँ, आलू प्याज से लेकर मशरूम, सर्पगंधा, बायोडीजल आदि के उत्पादन, विपणन, बिक्रय की वांछित पाठ पढ़ाने वाली नियमित पाठशाला है । यहाँ हर किसान फसल विज्ञान, बागवानी, प्राणी विज्ञान, कृषि अभियांत्रिकी, प्राकृतिक संसाधन, मछली पालन आदि की व्यापक जानकारी हासिल कर सकता है । देश-विदेश के कृषि समाचार का अतिरिक्त आनंद । उसके अपने सांसद लोकसभा में लफ्फाजी करते हैं या उसकी आवाज़ उठाते हैं यह की चुगली भी यह साइट बकायदा करता है । विधायक महोदय विधान सभा में सोते रहते हैं या कुछ उसके हित पर बहस करते हैं या नही । यह भी किसान यहाँ से जान सकता है । किसानों के जीवन से जुड़े सारे समाचार के लिए नेट पर चर्चित साइट है – किसान समाचार डॉट कॉम ।
हमारे कुछ कृषक खासकर उन्नत किसान जो अंग्रेजी पढ़ना-लिखना जानते हैं वे राष्ट्रीय बायोडायवर्सिटी अथारिटी (www.nbaindia.org)और अनेक प्रांसगिक और महत्वपूर्ण साइट में जाकर अपनी जानकारी को दूरुस्त कर सकते हैं । कृषक आयोग, भारत सरकार भी हिंदी में साइट चलाता है। जहाँ (www.krishakayog.gov.in)कृषि नीति से लेकर अन्य शासकीय कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जान सकते हैं ।
नवोदित राज्य झारखंड के कृषि प्रशासकों की प्रशंसा की जानी चाहिए कि वे केंद्रीय सहयोग से अपने राज्य के किसानों को प्रौद्योगिकी से जोड़कर विकसित करने में ईमानदार दिखाई देते हैं । www.bitmesra.net में आगे बढ़ने से बहुत सारी नयी और वैज्ञानिक जानकारी कृषकों को मिलने लगती है जैसे- भूमि संरक्षण, शुष्क भूमि तकनीक, मिट्टी एवं नमी परीक्षण, मानसून देर से आने से फसल प्रवंधन, बोआई की तैयारी आदि।
जो किसान जड़ी-बूटी यानी कि औषधीय फसल अपनाना चाहते हैं उनके लिए महत्वपूर्ण गुरु हो सकता है -www.hrdiua.org । उत्तरांचल का यह साइट भी हिंदी भाषा में है । हर्बल राज्य बनाने का सपना देखने वाले राज्य सरकारों के लिए यह वेबसाइट एक ई-पाठ की तरह है । शैक्षणिक एवं अन्य संस्थानों की पारस्परिक क्रिया के लिए रक्षा कृषि शोध प्रयोगशाला की भी शैक्षिक साइट(www.drdo.org) कम महत्वपूर्ण नहीं जहाँ अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय संस्थान तथा कृषि विश्वविद्यालयों की सम्यक जानकारी उपलब्ध है । हरियाणा सोनीपत के जिला प्रशासन और कृषि विभाग भी इंटरनेट पर इन दिनों कृषकों का ध्यान आकृष्ट कर रहा है । sonipat.nic.in कृषकों के लिए मार्गदर्शिका की तरह है । बिहार के राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, वैशाली अर्थात् kvkvaishali.bih.nic.in का भ्रमण कम फायदेमंद नहीं जहाँ फलों के उत्पादन के बारे में आवश्यक सूचनाएं और जानकारियाँ उपलब्ध हैं । हाल ही मैं इंडिया डेव्हलपमेंट गेटवे नामक संस्था ने कृषि पर एक समृद्द जास स्थल विकसित की है यहाँ कृषि ऋण, किसान क्रेडिट कार्ड, रेशम, भेड़, बकरी, खरगोश, सुअर पालन, आदि की से संबंधित जिज्ञासाओं का शमन किया जा सकता है । यहाँ ग्रामीण ऊर्जा विषयक काफी पठनीय सामग्री भी है । इस जाल स्थल का पता है - www.indg.in/agriculture । जो घर बैठे पर्यावरण के बारे में नियमित पत्रिका बाँचना चाहते हैं उनके लिए पर्यावरण डाइजेस्ट नामक पत्रिका ऑनलाइन मौजूद है – www.paryavaran-digest.blogspot । वैसे तो यह ब्लॉग तकनीक पर है पर सामग्री को सुचारूपूर्वक रखा गया है ।
भारतीय लोक में भी कृषि संबंधी प्रणालियों, संकेतों और उपचारों का दर्शन होता है । इस प्रसंग में हम घाघ को नहीं बिसार सकते । घाघ की कृषि कहावतों को भारत सरकार ने सजाकर रखा है और http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/dharti.htm में धऱती और बीज नामक एक महत्वपूर्ण किताब भी आनलाइन है जो जाने माने लेखक राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी द्वारा लिखी गयी है जो अपनी कोटि की हिंदी में पहली पुस्तक है। कहने को कृषकों के लिए कई जगह है नेट में पर वे या तो अंग्रेजी में हैं या फिर अपठनीय फोंट में हैं ।
ज़मीन का नक्शा कंप्यूटर में
कंप्यूटर और इंटरनेट किसानों के अर्थशास्त्र को भी बदलने वाला है । ये दोनों जटिल जमीन विवाद हल करने की दिशा में भी कारगर हो सकते हैं जिसकी शुरुआत उत्तरप्रदेश के राजस्व परिषद ने जमीनों के कई दशक पुराने नक्शे डिजिटल करने की प्रक्रिया के रूप में कर चुकी है । लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में यह काम पूरा हो चुका है और इस साल सत्रह अन्य जिलों में योजना लागू हो जायेगी। इसके बाद इन बीस जिलों के लोग अपनी दशकों पुरानी मिल्कियत न सिर्फ देख सकेंगे बल्कि तहसील दफ्तर से जमीन के नक्शे का कंप्यूटर प्रिंट साधारण फीस पर खरीद भी सकेंगे। अब वहाँ लोगों को नक्शों के लिए तहसीलों के चक्कर लगाने नहीं पड़ते हैं। भूमि विवाद हल करने में सहुलियत हो रही है । बताया जा रहा है कि वहाँ डेढ़ करोड़ खतौनी कंप्यूटर से तैयार हो चुके हैं । लेखपाल की खुशामद करने से छुटकारा दिलाने में प्रौद्योगिकी का यह चमत्कार कम नहीं है । किसान हितैषी होने का दंभ भरने वालों को सोचना चाहिए कि कैसे प्रौद्योगिकी का सहारा लेकर उन्हें भ्रष्टाचार से मुक्त किया जा सकता है ? कलेक्टर और तहसीलदार साहब के घर दुध पहुँचाने की आड़ में किसानों से हजारों रुपये डकारने वाले पटवारियों और आरआई से गरीब आदिवासी कृषकों को कब मुक्ति मिल सकेगी ? लालफीता शाही और रिश्वतखोरी के पंजे से भूमिपुत्र को कैसे बचाया जा सकता है और इसमें कंप्यूटर और इंटरनेट कैसे उपयोगी साबित हो सकता है इस दिशा में कौन-कौन से कारगर कदम उठाये जा सकते हैं ? किसानों के नाम पर करोड़ों का कंप्यूटर खरीद लेने मात्र से सरकार कुछ नहीं कर सकती है सिर्फ कमीशनबाजी के अलावा । बाँते भी बहुत है कंप्यूटर और इंटरनेट पर विकसित तकनीक को लेकर जो किसानों को कई कोणों से उन्नत और खुशहाल बना सकते है । इसकी चर्चा फिर कभी ।
चलते-चलते –
इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करना अब आसान हो जाएगा। वे घर बैठे-बैठे एक क्लिक कर इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकेंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में एक वेबसाइट विकसित करने जा रहा है। वेबसाइट बनने के बाद शिवभक्त काशी विश्वनाथ मंदिर की वेबसाइट पर जाकर प्रार्थना कर सकेंगे।तिरुपति बालाजी मंदिर, सिद्धि विनायक मंदिर और वैष्णव देवी तीर्थ के सफल ई-दर्शन से प्रेरित होकर ट्रस्ट ने भी मंदिर के दर्शन के लिए वेबसाइट विकसित करने का निर्णय लिया है ।
7 comments:
आपने अति उपयोगी जानकारी दी है.
धन्यवाद.
जानते हैं साहेब इसे पढ़कर क्या याद आया...
रेणु की परती परिकथा का।
बेहतरीन बातें आप यहां डाल रहे हैं, शायद किसानो को लेकर आप काम कर रहे हैं।
दरअसल मैं खुद किसानी परिवार से ताल्लुक रखता हूं और किसानों को होने वाली समस्याओं से रू ब रू भी होता रहता हूं। भले हीं घर साल दो साल में जाना होतो है लेकिन जानता तो हूं हीं।
आपका यह लेख मुझे काफी अच्छा लगा।
गिरीन्द्र
दिल्ली
09868086126
बढिया जानकारी है। इसे तो आप कृषि पत्रिकाओ मे भी छपवाइये।
आपका ब्लाग फायर फाक्स से पढने मे दिक्कत होती है। ऐसा क्यो है?
आपका यह संकलन बहुत उपयोगी है। अनतरजाल पर हिन्दी में अब धीरे-धीरे सामग्री बढ़ कर सन्तोषजनक स्थिति में आ रही है। लोकोपयोगी जानकारी हिन्दी में जितनी जल्दी आये , हिन्दी और भारत दोनो के लिये हितकर होगी.
इसी तरह चिकित्सा, न्याय, प्रौद्योगिकी (विशेषकर लघु प्रौद्योगिकी एवं सम्यक प्रौद्योगिकी) आदि पर भी हिन्दी सामग्री का विस्तृत संकलन किया जाय तो उत्तम होगा।
Good dispatch and this post helped me alot in my college assignement. Thanks you seeking your information.
मैँ खुद एक पटवारी/लेखपाल हूँ जब तक खेतोँ की पैमाइश करने के लिये लेखपाल को राजा अकबर के जमाने की जरीब के स्थान लम्बाई नापने वाला कोई आधुनिक गैजेट/उपकरण नहीँ दिया जायेगा जैसे कि लेजर रेन्ज फाइन्डर आदि तब तक इस विभाग से भ्रष्टाचार नहीँ समाप्त हो पायेगा मेरा ब्लाग www.prabhakarvani.blogspot.com
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