Wednesday, December 13, 2006

आईटी का उपहारः विंकलागों के द्वार

शारीरि रूप से विकलांग लोग भले ही ईश्वर को यह कहकर कोस सकते हैं कि उसने उन्हें सामान्य जीवन से वंचित कर दिया पर मनुष्य की मेधा ने उसे सामान्य मनुष्य की तरह जीवन के सभी सुखों को महसूसने की तकनीक मुहैया कराने में कोई कोताही नहीं बरती है । आईटी में सक्रिय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने हाल के वर्षों में जिस तरह विकलांगों के लिए अपनी साधना और समर्पण को रेखांकित किया है उससे क्रांतिकारी परिणाम आने लगा है । आज वह कंप्यूटर आधारित सभी उपयोगों का लाभ उठा सकता है । सच्चे अर्थों में कंप्यूटर और उससे संबंधित तकनॉलाजी ने मिलकर उसके जीवन को आसान बना दिया है ।

यूँ तो भारत सहित कई देशों की सरकारों के अनेक विभाग सहित विभिन्न स्वयंसेवी सस्थाएं विकलागों की बुनियादी तालीम और उनके पुनर्वास हेतु कार्यरत हैं । किन्तु उन्हें सूचना तकनीक में व्यापक तौर पर दक्ष बनाया जाना शेष है । अब वह समय आ चुका है कि उन्हें पारंपरिक शिक्षा एवं रोजगार के साथ-साथ नये ज़माने की तकनीक से भी जोड़ा जाय । वर्तमान में नेत्रहीनों के लिए विभिन्न और विशेष प्रकार के कंप्यूटर स्क्रीन रीडर्स, ब्रेल आधारित आउटपुट डिवाइस है जिसके सहारे वे भी कंप्यूटर स्क्रीन या वेबपेज पर अंकित सामग्री पढ़ सकते हैं । ब्रेल लिपि युक्त बडे स्टीकर्स लगाकर कुंजी-पटल पर भी उनकी अंगुलियाँ खेल सकती हैं । शारीरिक रूप से विकलांग भी आन स्क्रीन कुंजी-पटल के माध्यम से आईटी का लाभ उठा सकते हैं । वैसे तो सामान्य तौर पर कई ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जो विभिन्न तरह के विकलागों में सीखने की दक्षता को बढ़ा सकते हैं, कंप्यूटर साक्षरता के प्रारंभिक ज्ञान से लेकर उन्हें गणना, एकाउंटेंसी, टंकण कार्य आदि रोजगार मूलक कार्यों के लिए सक्षम बना सकते हैं । और सिर्फ इतना ही नहीं वे वेब-सर्फिंग, सर्चिंग, सहित, संगीत, का आनंद उठा सकते हैं । कंप्यूटर गेम का मजा भी उठा सकते हैं । पर हम विशेष कंप्यूटक उपकरणों के बारे में चर्चा करना चाहेंगे ।


विशेष कुंजीपटल

आम उपभोक्ता के लिए प्रयुक्त कुंजी-पटल विकलांगों के लिए उपयोगी नहीं हो सकते थे, इसलिए विशेष तकनीक से ऐसे कुंजीपटल विकसित किये गये हैं जिससे विकलांगों की शारीरिक अक्षमता बाधा न रहे और वे कंप्यूटर तकनीक का भलीभाँति उपयोग कर सकें। सीमेंस नामक कंपनी ने एप्लाइड साइबरनैटिक्स के सहयोग से एक विशेष कुंजीपटल तैयार किया है जिसमें कुंजी दबने में होने वाली देरी या 2 बार कुंजी दब जाने जैसी समस्या भी नहीं है । इसमें कुंजी भी अपेक्षाकृत बड़ी हैं जिससे ज्यादा नहीं हिल-डुल पाने वाले विकलांग को भी सरलता होती है । कुछ ऐसे कुंजी-पटल भी ईजाद किये गये हैं जो सिर्फ एक हाथ वालों के लिए कारगर साबित हो रहे हैं । केवल माउस स्टिक से ही कंप्यूटर चलाने वाले विकलांगों के लिए भी यह उपयोगी है । कुछ विकलांग ऐसे भी होते हैं जो चल-फिर ही नहीं सकते, के लिए मिनिएचर वर्सन उपलब्ध है । गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के कारण जिनकी मांसपेशियाँ शिथिल हो चुकी हैं उन्हें भी निराश होने की कोई जरुरत नहीं है । ऐसे लोगों के लिए एक विशेष कुंजी-पटल विकसित हो चुका है जो काफी उपयोगी सिद्ध होने लगा है ।

दो हिस्सों में तैयार एक और छोटा कुंजी-पटल भी विकलांगो को आईटी में पांरगत बनाने के लिए विकसित किया गया है जो सामान्य कुंजी-पटल से 40 प्रतिशत छोटा है । इसमें सारी कुंजियाँ और नंबर ब्लॉक होते हैं । दोनों हिस्सों में ट्राइपॉड यानी कि स्टैंड लगा होता है जिससे इसे व्हीलचेयर में भी फिट किया जा सकता है ।

शारीरिक विकलांगता और आईटी
जो जन्म से, गंभीर बीमारी या हादसों के कारण विकलांगता या अक्षम हैं । खास तौर पर यदि वे पूरी तरह से बातचीत नहीं कर पाते तो उनके लिए यह मंगलमय ख़बर हो सकती है कि अब वे कंप्यूटर की मदद से बोल-बोल कर लिख सकते हैं । अल्टरनेटिव कंप्यूनिकेशन सिस्टम एक ऐसा ही डिवाइस है जिसके सहारे ब्रेन हेमरेज के कारण भी बोलने में अक्षम लोग बोल सकते हैं । इस डिवाइस में एक खास तरह का हार्डवेयर प्रयुक्त होता है जिसमें विशेष इलेक्ट्रोड मांसपेशियों के कारण उत्पन्न होने वाले छोटे-छोटे विद्युत संकेतों को ग्रहण करते हैं । इसके साथ ही इलेक्ट्रोड दूसरी डिवाइसों से जुड़ जाते हैं जो कंप्यूटर के इनपुट को नियंत्रित करती है।

दृष्टिहीनता के लिए भी हल
अब दृष्टिहीनता भी कंप्यूटर और अंतरजाल के उपयोग करने में बाधक नहीं रह गयी । अमेरिका निवासी 41 वर्षीय वेंडी मिलर की ही बात करते हैं जो बचपन से आठ साल से अंधी हैं । वेंडी दृष्टिहीन होने के बावजूद न्यूयार्क टाइम्स का आनलाइन संस्करण नियमित पढ़ती है जिसे विशेष रूप से नेत्रहीनों के लिए विंडो आधारित लिनेक्स ब्राउजर में प्रतिदिन तैयार किया जाता है । बात सिर्फ इतना ही नहीं है वह बताती हैं – वे कंप्यूटर में प्रयुक्त उस स्क्रीन रीड़र सॉफ्टवेयर का उपयोग करती हैं जिसकी गति प्रति मिनट 1000 शब्द है जो सामान्य व्यक्ति द्वारा प्रति मिनट पढे जाने की क्षमता से कहीं अधिक है ।

हाल में ही ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस विकसित हुए हैं जिससे दृष्टिदोष के बावजूद भी कंप्यूटर का उपयोग सामान्य व्यक्ति की तरह किया जा सकता है । जर्मनी के हैम शहर में जर्मन एसोसिएशन फॉर इलेक्ट्रॉनिक एड फॉर द हैंडिकैप्ड ने इस दिशा में प्रशंसनीय कार्य कर दिखाया है। संस्थान द्वारा एक ऐसी डिवाइस तैयार की गई है जिससे कमजोर दृष्टि वाले भी बड़ी सरलता से कंप्यूटर स्क्रीन में लिखा बाँच सकते हैं । इस डिवाइस में मैग्नीफाइंग ग्लास और वेब रीडर लगा होता है जिससे दृष्टिहीनता स्वयं पानी भरने लगती है।

दृष्टिहीनों की समस्या को दूर करने वाला एक और महत्वपूर्ण डिवाइस है जो ब्रेल लिपि वाले कुंजी-पटल युक्त होता है । इससे टैक्स्ट को कंपोज करने में आसानी होती है । प्रिंटर भी ऐसे बनाये जा चुके हैं जिनसे ब्रेल कॉपी या साधारण प्रिंट दोनों भी प्राप्त किया जा सकता है । जो ब्रेल लिपि नहीं जानते उनके लिए स्पीच सिंथेसाइजर अति विश्वसनीय यंत्र है जिसमें अक्षरों, शब्दों और वाक्यों को बोलकर कंप्यूटर में डाला जा सकता है । यह वर्ड प्रोसेसर, ई-मेल और इंटरनेट आधारित कार्यों में भी सफल है ।

इन दिनों अधिकतर दृष्टिहीन स्क्रीन रीडर इस्तेमाल करते हैं जो कि डॉस आपरेटिंग सिस्टम पर आधारित है । इस डिवाइस की कमजोरी मात्र इतनी ही है कि वह ग्राफिक यूजर इंटरफेस की सुविधा नहीं दे पाता किन्तु कई कंपनियों ने ग्राफिक इंट्रानेट व वेबसाइटों के उपयोग को आसान बनाने के लिए एप्लिकेशन भी देने लगी हैं । विंडोज एप्लिकेशन के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने एक्टिव एक्सेसबिलिटी डव्लपर्स किट प्रस्तुत किया है । हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा इंटरनेट एक्सप्लोरर का जो नया संस्करण बाजार में उतारा गया है उसमें स्क्रीन रीड़र के लिए टैक्स्ट ओनली विकल्प भी है । नैटस्कैप ने भी बराबरी करते हुए ओएस/2 रैप 4 एप्लिकेशन प्रस्तुत किया है जिसमें स्पीच रेकॉगनेशन है जिसकी सहारे बहुत कम देख सकने वाले या पूरी दृष्टिहीन भी आईटी में दक्ष बन सकते हैं । एक कंपनी इससे भी एक कदम आगे सिद्ध होने वाली एप्लिकेशन विकसित कर रही है जिसमें स्पीकिंग वेब ब्राउजर भी होगा जिससे हाइपरटैक्स्ट मार्कअप लैग्वेज पेजों को भी समझा जा सकेगा ।

हैड माउस
हैड माउस ऐसा डिवाइस है जिसे स्मार्ट-नैव कैमरा कहा जाता है । इसके सहारे कोई भी विकलांग व्यक्ति मात्र अपने सिर को हिलाकर ही कंप्यूटर संचालित कर सकता है । इसमें रेजोल्यूशन इतना ज्यादा होता है कि सिर के हिलते ही कर्सर हिल जाता है । माना कि प्रयोक्ता का सिर आधा सेंटीमीटर भी घूम गया तो कर्सर पूरे स्क्रीन पर घूम जायेगा । यदि प्रयोक्ता कंप्यूटर स्क्रीन के बजाय अन्यत्र देख रहा होगा तो कर्सर या पार्टर गायब ही हो जायेगा । यह अलग बात है कि कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर भी तैयार कर लिये गये हैं जिससे कर्सर भी यथास्थान रखा जा सकता है । विकलांगों की अंगुली में रिफ्लेक्टिव छल्ला लगाकर उसे माउस की तरह कार्य लिया जा सकता है ।

आई माउस
आई ट्रैकिंग सिस्टम ऐसी पद्धति है जिसमें विकलांग व्यक्ति मात्र अपनी आँखों का उपयोग करके ही कंप्यूटर को उपयोग में लिया जा सकता है । इस डिवाइस में मॉनिटर पर एक कैमरा इस तरह लगा होता है जो प्रयोक्ता की आँखों पर फोकस करता है । हल्के से पलक झपकते ही माउस क्लिक होने लगता है । इसमें प्रयोक्ता स्पीच सिंथेसाइजर वाली विधि से टाइप कर सकता है । फोन कर सकता है । कंप्यूटर सॉफ्टवेयर चला सकता है । इतना ही नहीं वह इंटरनेट-सर्फिंग भी कर सकता है ।

फुट माउस
जैसा कि नाम से ज्ञात है यह पैरों से संचालित यंत्र है । इस माउस में दो पैडल होते हैं । उपयोगकर्ता एक पैर से माउस को क्लिक करता है और दूसरे पैर से कर्सर को नियंत्रित करता है । इस यंत्र की महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है कि इसमें कार्यक्षमता लगभग 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है । साथ ही इसमें हाथ या कलाई पर पड़ने वाला तनाव भी घट जाता है क्योंकि इसमें माउस संचालित करने हेतु हाथ का उपयोग होता ही नहीं ।

बैकपैक
इसे जाइबरकिड्स पीसी भी कहा जाता है । इसका निर्माण जाइबरनॉट नामक कंपनी ने किया है । यह उन विकलांग बच्चों के लिए कारगर है जो पढ़ने-लिखने में कठिनाई महसूस करते हैं। बैकपैक में फ्लैट पैनल टच स्क्रीन डिस्पले, पोर्टेबल स्पीकर और छोटी-सी प्रोसेसिंग यूनिट होती है जिसकी सहायता से विकलांग बच्चे एक दूसरे से बात कर सकते हैं और कक्षा की सारी गतिविधियों में भाग सकते हैं । इस यंत्र की सहायता से वे आनलाइन खरीददारी भी कर सकते हैं ।


बधिरों के लिए भी सौगात
बधिरों के लिए कंप्यूटर अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि कंप्यूटर का सबसे अहम पक्ष का दृश्य माध्यम या विजुअल होना है । बधिरों के लिए भी कई ऐसे हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर विकसित किये जा चुके हैं जिसके माध्यम से बधिर सांकेतिक भाषा, फिंगर स्पैलिंग और लिप रीडिंग का प्रशिक्षण दिया जा सकता है । इस पद्धति में केवल एक माइक्रोफोन की अतिरिक्त आश्यकता होती है । जैसे ही प्रयोक्ता द्वारा कोई शब्द चुना जाता है उसका सही उच्चारण स्क्रीन पर डिस्पले हो जाता है और ध्वनि भी जब माइक्रोफोन में पहुँचती है उसका भी डिसप्ले स्क्रीन पर होने लगता है । इस तरह से दोनों डिस्पले के अनुसार तुलना कर वास्तविक उच्चारण तक प्रयोक्ता पहुँच सकता है । बधिर आसानी से ई-मेल और चैटिंग भी कर सकते हैं । इस दिशा में ट्रायबल वॉयस द्वारा ईजाद की गई एप्लिकेशन-पॉवो का जिक्र प्रांसगिक होगा जिसमें बधिर और दृष्टिहीन भी चैटिंग कर सकते हैं । इस डिवायस की खासियत है- उसका टैक्स्ट-टू-स्पीच से लैस होना जिसके कारण सरलता से दृष्टिहीन स्क्रीन पर लिखा हुआ आसानी से सुन सकता है और ठीक दूसरी ओर बधिर स्क्रीन पर टैक्स्ट को देख सकता है ।इस सॉफ्टवेयर को ट्रायबल.कॉम से डाउनलोड की सुविधा भी है।

डिसएबल्डपर्सन.कॉम भी एक ऐसा वेबसाइट है जो मूलतः विकलागों के लिए उपयोगी सामग्री से भरा पड़ा है । यहाँ कुछ ऐसी सच्ची कहानियाँ भी प्रकाशित की गई हैं जो प्रत्येक विकलांग के लिए भावनात्मक रूप से भी प्रेरणास्पद है । विकलांगों के लिए दुनिया भर में रोजगार प्राप्त करने की अतिरिक्त जानकारी भी यहाँ प्राप्त की जा सकती हैं ।

इधर राष्ट्राय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (NIIT) ने भी विकलांगों के लिए आई-राइट नामक साफ्टवेयर विकसित की है जिसकी सहायता से विकलांग व्यक्ति कंप्यूटर द्वारा लिख सकता है । जो विकलांग अब तक की-बोर्ड का इस्तेमाल नहीं कर सकता था, वह अब सिंगल प्वाइंट इंट्री व्यवस्था के माध्यम से लिखने का काम कर सकेगा । यह टच पैड, प्रकाश, और आवाज़ से संचालित स्विच व्यवस्था से हो सकेगा । इससे उपयोगकर्ता स्क्रीन पर उपलब्ध विभिन्न विकल्पों में अपने लायक माध्यम को चुन सकेगा ।
जयप्रकाश मानस
संपादक,
सृजनगाथा डॉट कॉम
रायपुर, छत्तीसगढ

1 comment:

रवि रतलामी said...

बढ़िया, जानकारी पूर्ण आलेख.

स्टीफ़न हाकिंस आईटी और कप्यूटरों के भरोसे ही न सिर्फ अपना जीवन जी पा रहे हैं, खोजों व लेखन में भी सक्रिय हैं - जबकि वे शारीरिक रूप से लाचार हैं.