Saturday, May 23, 2009

कहीं आप भी जुगुल किशोर तो नहीं बन रहे है

किस्सा-ए-सायबर अपराध
आप यदि मोबाइल यूजर्स हैं या फिर इंटरनेट यूजर्स तो आपके जुगुल किशोर बनने की संभावना बढ़ जाती है । तब शायद आप भी किसी ईनाम, लाटरी, पुरस्कार वाले मैसेज या ई-मेल के झाँसे में लाखों रूपये गँवा बैंठे और तब तक पुलिस को न बतायें जब तक आपको कोई वास्तविक ईनाम, पुरस्कार या लाटरी न मिले यानी कि चारों तरफ से अँधेरा घिरने लगे, आँखें भर आये, घर-बार और मित्रों में आपकी लालच पर लानत मिलने लगे । आप सावधान रहें - कहीं कोई आपको जुगुल किशोर बनाने का षडयंत्र तो नहीं कर रहा है .....
कहानी कुछ इस प्रकार की है । 13 मार्च, 2009 को जुगुल किशोर सिंह, वल्द श्री सत्यपाल सिंह, निवासी 1/c, विश्रामपुर, जिला कोरिया के मोबाइल नं. 99266-72062 पर आइडिया टावर से एक मैसेज आया कि वे आइडिया सिम खरीदने में लाटरी आपके नाम निकलने पर 4 लाख यूएस डालर जीत चुके हैं । इस संबंध में एक ई-मेल श्री सिंह के मोबाइल पर भेजा गया था, जिसके झांसे पर आकर जुगुल किशोर ने मोबाइल नंबर सहित तुरंत अपना जवाब भेज दिया ।

इसके बाद नेट बेस्ट बैंक यूके के डायरेक्टर Mr. John Bosco Bmegine द्वारा जुगुल किशोर से उसके पुरस्कार की राशि पार्सल से भेजने हेतु पार्सल खर्चा के रूप में 12,760 रुपये की माँग की गई । इस पर श्री किशोर द्वारा मि. जान द्वारा बताये गये एकाउंट नम्बर पर उतनी राशि भेज दी गई । इसके 3 दिन बाद दूसरे व्यक्ति Mr. Johnwhite ने मो. नं. 9873194018 से उसे सूचित किया कि वह पार्सलमैन बनकर भारत आया है तथा कस्टम ड्यूटी क्लियरेंस करने हेतु उसे 2.04 लाख रूपये अलग-अलग एकाउंट नम्बर पर जमा कराने होंगे । इस पर पुनः श्री किशोर द्वारा बताये गये एकाउंट पर 2.04 लाख रूपये जमा कर दिया गया । रुपये जमा होने पर श्री किशोर को पार्सल डिलेवरी लेने हेतु दिल्ली बुलाया गया । श्री किशोर अपने बड़े पुत्र के साथ जब दिल्ली पहुँचे तब उन्हें Mr. Ienis Barister नामक एक नाईजीरियन व्यक्ति मिला जिसने उक्त पार्सल खोलकर दिखाया । उसमें एक काला रंग का यूएस डालर पैक था । उसने श्री सिंह से कहा कि असली रूप में यूएस डालर बनाने हेतु एक केमिकल ज़रूरी है, जिसे खरीदने पर करीब 15 लाख रूपये खर्च होंगे । इसके लिए उसने आईसीआईसीआई, एसबीआई, एक्सिस बैंक के 32 विभिन्न बैंक एकाउंट्स में जमा करने हेतु कहा । विश्वास दिलाने के लिए उसने दो काला रंग के डालर को सेम्पल केमिकल से असली डालर बनाकर बताया । श्री जुगुल किशोर और उसके पुत्र को विश्वास हो जाने पर उन्होंने अपने परिचितों से सहयोग लेकर 15 लाख रूपये बताये गये खातों में जमा कर दिया । इस पर बंद बोतल में उन्हें केमिकल दिया गया जो कुछ घंटो के बाद ही स्वतः टूट गया । इसी तरह तथाकथित Mr. Jenis Barister द्वारा बार-बार केमिकल देने के नाम पर और-और रूपयों की माँग की जाती रही जिसपर जुगुल किशोर द्वारा कुल 18 लाख रूपये देने के बाद भी काला रंगवाला डालर असली डालर में तब्दील नहीं हो सका । इस बीच संबंधितों के द्वारा असली डालर बनाने के नाम पर अधिक रूपयों की माँग की जाती रही ।

अंततः परेशान होकर जुगुल किशोर ने थाना छत्तीसगढ़, कोरिया जिला अंतर्गत विश्रामपुर थाना में 15 मई, 2009 को एफआईआर दर्ज कराया गया । पुलिस द्वारा अपराध क्रमांक 95/09 के तहत आईपीसी धारा 420 के तहत मर्ग कायम किया गया । पुलिस महानिदेशक एवं पुलिस अधीक्षक से मार्गदर्शन लेकर एक विशेष टीम गठित की गई जिसमें प्रभारी एएसआई प्रइमन तिवारी, फिरोज खान को दिल्ली रवाना किया गया । दिल्ली स्थित अंतरराज्यीय अपराध सेल से मिलकर मोबाइल नं. 987319401 धारक को लोकेशन पता किया गया । वह दिल्ली के मोहम्मद पुरा इलाके पर लगातार बना रहना पाया गया । पुलिस दल द्वारा जब जुगुल किशोर के साथ मोहम्मदपुरा इलाके में पतासाजी करने पर मकान नं. एफ-129 में तीन नाईजीरियन नागरिक मिले, जिन्हें देखते ही जुगुल किशोर द्वारा पहचान लिया गया और पंचनामा कर सेलेस्टिन आकोजी, युगोरजी यूजीन, चुकुम निकोलस नामक उन तीनों लाटरी अपराधियों को आईपीसी की धारा 91 के तहत नोटिस देकर उपस्थित कराया गया जिस पर तीनों ने ही लाटरी द्वारा अवैध तरीके से रूपये वसूलने का अपराध स्वीकार कर लिया गया । पुलिस द्वारा इसके साथ ही अपराध में उपयोग में लाये गये कई मोबाइल, कंप्यूटर लैपटाप, पहचान पत्र, पासपोर्ट जप्त कर लिया गया है किन्तु रकम की बरामदगी नहीं हो पाई है । रकम के बारे में आरोपियों द्वारा किसी अन्य व्यक्ति जेनिस द्वारा केन्या लेकर भाग जाने की बात बतायी गयी है । अब बचने के लिए पकड़ाये गये आरोपियों का कहना है कि वे लोग मात्र मोहरा हैं । किन्तु पुलिस द्वारा अपराध विवेचन के दौरान धारा 120 (बी), 34 जोड़कर संबंधित बैंको में संपर्क कर रूपये बरामदगी का प्रयास तेज कर दिया गया है ।
पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन ने राज्य के नागरिकों को सचेत कराया है कि मोबाइल, इंटरनेट ई-मेल के माध्यम से आने वाले संदेशों का विश्वास करके किसी विदेशी लाटरी, ईनाम के लालच में जुगुल किशोर की तरह लाखों रुपये न गँवा बैठे । उन्होंने कहा है कि बड़ी संख्या में विदेशी सायबर अपराधी देश में सक्रिय हैं जो कम पढ़े लिखे और ई-मेल, मोबाइल यूजर्स का पता लगाकर उन्हें ठगने के कई तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं । जी, हाँ छत्तीसगढ़, विश्रामपुर का जुगुल किशोर ऐसे ही सायबर अपराध का शिकार हुआ था, जिसमें लिप्त नाईजीरियन अपराधियों को छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा पकड़ लिया गया है । उन्होंने अपील की है कि ई-मेल या मोबाइल संदेश से अचानक मिले ऐसे किसी ईनाम, पुरस्कार के लालच या झाँसे में ना आयें एवं ऐसे संदेहास्पद ई-मेल एवं मोबाइल संदेश आने पर वस्तुस्थिति नजदीक के पुलिस थाने में या पुलिस मुख्यालय के ई-मेल prodgpcg@gmail.com पर सूचित करें ताकि ऐसे लोगों, संस्थाओं का परीक्षण कर ऐसे ठगी से बचाने में सहयोग किया जा सके ।

5 comments:

Girish Kumar Billore said...

Wah betareen satarkataa kee salah

अखिलेश्‍वर पांडेय said...

बहुत खूब मानस जी,
अच्‍छी कहानी बतायी। आपकी बात सच है। न जाने ऐसे कितने जुगलकिशोर बन चुके हैं। लालच तो कितनों को डूबो चुकी है।

गौतम राजऋषि said...

ये तो बड़ी ही खतरनाक कहानी है...
कुछ भी सुरक्षित रह गया है कि नहीं, इस पर भी सुबहा होने लगा है।

कडुवासच said...

... धोखाधडी का गोरखधंधा खूब फलफूल रहा है ... प्रभावशाली लेख ।

ajay saxena said...

मानस भैय्या / नमस्कार,
कैसे है आप?? मैंने हाल में अपना एक ब्लॉग बनाया है उसे और बेहतर बनाने के लिए और मुझे क्या करना चाहिए बताइयेगा ... ब्लॉग-गतिविधियों से जुडे रहने के लिए मेरे ब्लॉग को अपने फेहरिस्त में ले तो अत्यंत आभारी रहूँगा ..आप जैसे महान ब्लॉगर मुझसे जुड़े रहे इस निवेदन के साथ ... शुभकामनाओं सहित.
अजय सक्सेना, हरिभूमि
mobile-9425516771