Tuesday, February 10, 2009

नहीं रहे कवि सुदीप बेनर्जी



मेरे लिए यह दुखद सूचना है कि कविता के वरिष्ठ हस्ताक्षर और पूर्व संवदेशनशील प्रशासक श्री सुदीप बेनर्जी का आज दिल्ली में निधन हो गया । उनका जन्म जन्म: 16 अक्टूबर 1945 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था । वे मध्यप्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे । वे राष्ट्रीय साक्षरता मिशन दिल्ली सहित शिक्षा मंत्रालय के कई पदों में कार्यरत रहे । उन्होंने साक्षरता अभियान को संस्कृतिकर्मियों का आंदोलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी । वे बड़े संवेदनशील कवि और अपने मातहतों को गंभीरता से सुनने वाले प्रशासक थे ।

उनकी कुछ प्रमुखकृतियाँ हैं शब गश्त(1980), जख्मों के कई नाम (1992), इतने गुमान(1997) आदि । उनकी कमी हमें सालती रहेगी । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ।

5 comments:

Vinay said...

यह जानकर बहुत दुख हुआ।

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गुलाबी कोंपलें | चाँद, बादल और शाम

विष्णु बैरागी said...

यह अप्रिय समाचार आपसे ही मिला। कष्‍ट ही हुआ। वे 1980 में रतलाम में कलेक्‍टर थे।

महेन्द्र मिश्र said...

अप्रिय समाचार मिला दुख हुआ....

योगेन्द्र मौदगिल said...

ऒह........ जान कर दुख हुआ...

गौतम राजऋषि said...

दुखद....और शेष साहित्य जगत तो मौन ही है अब तलक इस बारे में
उनकी एक कविता जो बेहद पसंद है मुझे
"उंगलियाँ भूल आई हूँ, दफ़्तर में / अनामिका में फँसी अंगूठी
रह गई है मेज़ पर / मैं वापस ले आऊंगी
उन्हें शनिवार को / तुम्हारे लिए बुनने को स्वेटर /
हम ऊन का रंग तय कर लें / इन सदियों में, तब तक...."
उन्हें श्रद्धांजलि

आप इतने दिनों बाद लौटे भी इस ब्लौग-जगत पर तो इस खबर के साथ....