इधर बहुत दिन हुए, अपने ब्लॉग पर कुछ टांक ही नहीं सका था । नौकरी की आपाधापी, घरुकाम-काम और साहित्यिक आयोजनों में उलझे रहने के कारण शायद 7 अप्रैल 2010 के बाद आज फिर इधर आने का एकाएक मन हो आया ।
इस एक साल से अधिक अवधि में ना जाने कितने नये मित्र ब्लॉगिंग से जुड़ चुके होंगे जिन्हें मुझे पढ़ना चाहिए । ब्लॉगिंग पर तो भाई रवीन्द्र प्रभात की नयी किताब हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास भी छपकर आ चुकी है । शायद वे मुझे अपनी किताब रवाना भी कर चुके हैं - जैसा कि उन्होंने अपने ईमेल से सूचित भी किया है । देखते हैं क्या इतिहास लिखे हैं । पर इस वक्त उनको तहेदिल से बधाई ।
मुझे खुशी है कि छत्तीसगढ़ के जिन मित्रों और पत्रकारों के लिए मैंने वर्षों पहले पहल की थी कि वे ब्लॉग लिखने की ओर प्रवृत्त हों और बहुत अनमने मन से वे कार्यशाला में जुड़े थे, उनमें से कई आज छत्तीसगढ़ के प्रमुख ब्लॉगर बन चुके हैं और बाकायदा अभिव्यक्ति की प्रजातांत्रिकता को रेखांकित कर रहे हैं । और सिर्फ इतना ही नहीं वे स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों पर जम कर बहस कर रहे हैं । प्रायोजित प्रचार का जमकर विरोध भी कर रहे हैं । ऐसे सभी मित्रों को मेरा अभिवादन । उन सभी ब्लॉगरों को भी नये सिरे से प्रणाम जिनसे मैं बहुत दिन तक दूर रहा । चलिए अब प्रयास करते हैं आपसे नियमित मिलें । आप सभी को पढ़ें । स्वागतम...
Wednesday, October 12, 2011
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